Sunday, May 7, 2017

अभी हाल ही में निर्भया केस के 4 आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट ने सजा-ए-मौत का आदेश दिया है और अब राष्टपति की माफ़ी के अलावा उनके पास और कोई दूसरा रास्ता नहीं है, लेकिन जब हमारे देश में फांसी किसी को दी जाती है तो बहुत सारी बातो का ध्यान रखना पड़ता है, और फांसी से जुडी भी कुछ बातें बहुत ज्ञानवर्धक होती है।

फांसी देना और लेना कोई आसान काम नही हैं। किसी को फांसी देते समय कुछ नियम का पालन करना पड़ता हैं इसमें फांसी का फंदा, फांसी देने का समय, फांसी की प्रकिया आदि शामिल हैं। आपने आज तक सिर्फ फिल्मों में ही फाँसी देते देखा होगा

आइये जानते है, फांसी की सजा से जुडी कुछ जरुरी बाते

1. भारत में हैं सिर्फ दो जल्लाद

पूरे देश में अभी फांसी देने वाले केवल दो जल्लाद हैं और ये जल्लाद जिन राज्यों में रहते हैं, वहां के राज्य सरकारों की ओर से तीन हजार रुपए महीना मानदेय उन्हें मिलता है। जब ये किसी को फांसी देते हैं, तो इसका मेहनताना अलग से दिया जाता है। देश में मौजूद दो रजिस्टर्ड जल्लादों में पवन सिंह और अहमद बाबू हैं। पवन देश के मशहूर जल्लाद कालू सिंह के वंशज हैं। उन्होंने हाल ही में अपना रजिस्ट्रेशन करवाया है और अब तक एक भी फांसी नहीं दी है।

2. सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के मुताबिक जिसे मौत की सजा दी जाती है उसके रिश्तेदारों को कम से कम 15 दिन पहले खबर मिल जानी चाहिए ताकि वो आकर मिल सकें।

3. फांसी की सजा पाए कैदियों के लिए फंदा जेल में ही सजा काट रहा कैदी तैयार करता है आपको अचरज हो सकता है, लेकिन अंग्रेजों के जमाने से ऐसी ही व्यवस्था चली आ रही हैं।

4 . देश के किसी भी कोने में फांसी देने की अगर नौबत आती है तो फंदा सिर्फ बिहार की बक्सर जेल में ही तैयार होता है इसकी वजह यह है कि वहां के कैदी इसे तैयार करने में माहिर माने जाते हैं।

5. फांसी के फंदे की मोटाई को लेकर भी मापदंड तय है। फंदे की रस्सी डेढ़ इंच से ज्यादा मोटी रखने के निर्देश हैं। इसकी लंबाई भी तय हैं।

6. फाँसी के फंदे की कीमत बेहद कम हैं। दस साल पहले जब धनंजय को फांसी दी गई थी, तब यह 182 रुपए में जेल प्रशासन को उपलब्ध कराया गया था।

7.  आतंकवादी संगठनो के सदस्यों को फांसी देने पर उनको मोटी फीस दी जाती हैं जैसे इंदिरा गांधी के हत्यारों को फांसी देने पर जल्लाद को 25,000 रूपए दिए गए थे।

8. हमारे कानून में फाँसी की सजा सबसे बड़ी सजा हैं. फांसी की सजा सुनाने के बाद पेन की निब इसलिए तोड़ दी जाती है क्योकिं इस पेन से किसी का जीवन खत्म हुआ है तो इसका कभी दोबारा प्रयोग ना हो. एक कारण ये भी है कि एक बार फैसला लिख दिये जाने और निब तोड़ दिये जाने के बाद खुद जज को भी यह यह अधिकार नहीं होता कि उस जजमेंट की समीक्षा कर सके या उस फैसले को बदल सके या पुनर्विचार की कोशिश कर सके.

9. जल्लाद फांसी देने से पहले बोलता है कि मुझे माफ कर दो. हिंदू भाईयों को राम-राम, मुस्लिम को सलाम, हम क्या कर सकते है हम तो है हुकुम के गुलाम.

10. सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के मुताबिक जिसे मौत की सजा दी जाती है उसके रिश्तेदारों को कम से कम 15 दिन पहले खबर मिल जानी चाहिए ताकि वो आकर मिल सकें.

11. फांसी से पहले मुजरिम के चेहरे को काले सूती कपड़े से ढक दिया जाता हैं और 10 मिनट के लिए फांसी पर लटका दिया जाता हैं फिर डाॅक्टर फांसी के फंदे में ही चेकअप करके बताता हैं कि वह मृत है या नहीं उसी के बाद मृत शरीर को फांसी के फंदे से उतारा जाता हैं.

12. आखिरी इच्छा पूछे बगैर किसी को फांसी नही दी जा सकती. कैदी की किसी आखिरी इच्छा में परिजनों से मिलना, कोई खास डिश खाना या कोई धर्म ग्रंथ पढ़ना शामिल होता हैं.

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